चटक इंफ़ॉरमेशन युग कि क्रांति आज अपने चरम पर है. अंगूठे के नाख़ून पर आप आलतू फ़ालतू से लेकर जीवन का तख़्तापलट कर देने वाली जानकारी इस हथेली जितने यंत्र से आसानी से प्राप्त कर सकते है.
अभी अभी मैंने 2 घंटे जीवन बदलने वाली ढेरों जानकारियों का एकातरिसम किया है. इज़राइल हमला हो या दिल्ली के गवर्नर का केजरीवाल सरकार पर हमला. प्रांजल दहिया कि रील हो या अमित सैनी रोहतकिया का ओपन चैलेंज. शर्मा जी का लड़का सह परिवार शिमला घुमने गया हो या यादव जी की पोती का कल जन्मदिन. आज अपन ने सेकेंड के हिसाब से सब पता लगा लिया.
कुछ दिनों पहले किसी बड़े संस्थान के किसी दफ़्तर में बैठा मैं एक एक्टिविटी शुरू करने का इंतज़ार कर रहा था जिसके लिए वहाँ के मैनेजर से परमिशन होनी बाक़ी थी.
आप नौकरी लाइफ़ में बहुत से किरदारों से मिलते हैं कुछ आपके दोस्त बनते है, कुछ काम कि “राम राम” तक सीमित रहते हैं और कुछ “अपनी ऐसी तैसी करा” कि स्टेज वाले होते है. मगर सबको साथ लिए ये सफ़र चलता रहता है.
परमिशन के कुछ समय बाद मैंने अपना काम शुरू कर दिया. उस कमरे कि बड़ी बड़ी स्क्रीन पर कुछ नक़्शे बने हुए दिखाई पड़ते थे. मैं उन नक़्शों को देखने लगा जिसमे कुछ कुछ समझ आ रहे थे और कुछ कुछ नहीं और बीच बीच में अपना काम करता रहा.
तभी मेरे साथ बैठे मेरे दोस्त रामपाल जी से मेरी एक ऐतिहासिक सबक़ वाली बात शुरू होते ही ख़त्म हुई.
मैं: ये तो फ़लाना जगह है ना ??
रामपाल: देखो सोनी जी “ये आपको जानने कि बिल्कुल ज़रूरत नहीं है आप अपने काम से काम रखिये जितनी आपके लिए ज़रूरी होगी वो जानकारी आपको दे दीं जायगी.”
ये सुन कर मुझे उस समय बहुत बुरा लगा कि यार ये आदमी “दोस्त” होकर “ऐसी तैसी करा” वाली हरकत क्यूँ कर रहा है. लेकिन बाद में रामपाल ने मुझे इसके पीछे के कारण बताया जो की एकदम वाजिब भी था. उसके बाद हमेशा की तरह हम टापरी पर खड़े चाय पीते हुए कंपनी चालू करने की कभी ना ख़तम होने वाली बक*दी में लग गए.
लेकिन उस दिन वाक़ई में मुझे ये एहसास हुआ कि क्या मुझे या हमे सबकुछ जानने की जरुरत है ? सोशल मीडिया के युग में हमारी जानकारी की खपत इतनी ज्यादा बढ़ गयी है जिसके कोई अंत नज़र नहीं आता. और ये जानकारिया भी अक्सर ऐसी होती है जिसका हमरे जीवन में अठन्नी का फायदा नहीं.
जल्द ही हम खुद को ऐसे दौर में पायंगे जिसमे लोग गलत सूचना से बीमार होंगे. झूठी जानकारियों के दौरे पड़ेंगे. ज़ुकर्बेर्ग यूनिवर्सिटी के अलग अलग कैंपस के चैंपियन फ़ोन पर नई दुनिया बसायंगे जिसमे इन्सान तो होंगे मगर एक कमरे में कैद किसी बिस्तर पर फ़ोन हाथ में लिए.
हो सकता है आप मेरे विचारों से सहमत ना हो पाए मगर चलता है
राह चलते फिर मिलेंगे
राम राम जी